शिव शक्ति सनातन धर्म मंदिर सेक्टर 28 चंडीगढ़ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस

शिव शक्ति सनातन धर्म मंदिर सेक्टर 28 चंडीगढ़ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस

शिव शक्ति सनातन धर्म मंदिर सेक्टर 28 चंडीगढ़ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस

शिव शक्ति सनातन धर्म मंदिर सेक्टर 28 चंडीगढ़ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस

चंडीगढ़। शिव शक्ति सनातन धर्म मंदिर सेक्टर 28 चंडीगढ़ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस में श्री धाम वृंदावन से पधारे प्रेम मूर्ति प्रदीप जी महाराज ने पूतना उद्धार एवं श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया कथा के पंचम दिवस पर भक्तों ने महाराज के श्री मुख से कथा का श्रवण किया पूज्य महाराज श्री ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि भागवत में दशम स्कंध जो बाल लीलाएं हैं इन बाल लीलाओं को सुनकर जहां ज्ञानी लोग अपना ध्यान रखो बैठते हैं सोचते हैं कि भगवान ऐसे कैसे कर सकता है वही प्रेमियों को बड़ा आनंद आता है  प्रेमियों को आनंद इसलिए आता है कि लीलाओं को सुनकर उनको ऐसा लगता है कि भगवान हमारे बहुत पास में है महाराज श्री ने आगे कहा कि भगवान की कथा श्रवण करना ही बड़े सौभाग्य का विषय होता है उस पर भी अगर कार्तिक मास में पूरी भागवत कथा का दशम स्कंध सुनने को मिल जाए वह भी पहले दिन इसको कहते हुए सोने पर सुहागा है पूज्य महाराज श्री ने पंचम दिवस की कथा प्रारंभ करते हुए कृष्ण जन्म पर नंद बाबा की खुशी का वृतांत सुनाते हुए कहा कि जो प्रभु ने जन्म लिया तो वासुदेव जी कंस कारागार से उनको लेकर नंद बाबा के यहां छोड़ आए और वहां से जन्मी योग माया को ले गए नंद बाबा के घर में कन्हैया के जन्म की खबर सुनकर पूरा गोकुल प्रसन्न हो गया महाराज ने कथा का वृतांत बताते हुए पूतना चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि पूतना कंस द्वारा भेजी गई थी और श्रीकृष्ण को स्तनपान के जरिए विश् देकर मार देना चाहती थी उसने कृष्ण को विषपान कराने के लिए एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर वृंदावन में पहुंची थी  भगवान के जन्म के 6 दिन बाद प्रभु को मारने के लिए अपने स्तनों पर कालकूट विष लगाकर आई तो मेरे कन्हैया ने अपनी आंखें बंद कर ली कारण क्या था क्योंकि एक बार मेरे ठाकुर की शरण में आ जाता है उसका उद्धार निश्चित है अनंत मेरे ठाकुर को दिखावा छलावा पसंद नहीं है आप जैसे हो वैसे आप रावण भी भगवान श्री राम के सामने आया परंतु छल से नहीं शत्रु बनकर कंस भी सामने शत्रु बनकर आया पर भगवान ने उसका उद्धार किया  मौका पाकर पूतना ने बालकृष्ण को उठा लिया और स्तनपान कराने लगी श्री कृष्ण ने स्तनपान करते-करते ही पूतना का वध कर उसका कल्याण किया आगे कथा में गोचरण लीला कालिया दमन कथा के समापन में पूज्य महाराज जी द्वारा बड़े ही धूमधाम से हुआ भगवान गिरिराज का छप्पन भोग लगाया गया और सभी भक्तों ने बहुत आनंद लिया